2018 Sheetala Saptami Pujan date

8th March 2018 (Thursday)

Puja Muhurat = 06:42 to 18:21

Sheetala Saptami Katha

एक प्रचलित कथा के अनुसार एक बार शीतला सप्तमी के दिन एक परिवार में बूढ़ी औरत और उनकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा. मान्यता के अनुसार इस दिन सिर्फ बासी भोजन की खाया जाता है, इसी वजह से रात को ही माता का भोग सहित अपने लिए भी भोजन बना लिया. लेकिन बूढ़ी औरत की दोनों बहुओं ने ताज़ा खाना बनाकर खा लिया.

क्योंकि हाल ही में उन दोनों को संतान हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना करे.यह बात उनकी सास को मालूम चली कि दोनों ने ताज़ा खाना खा लिया, इस बात को जान वह नाराज हुई.

थोड़ी देर बाद पता चला कि उन दोनों बहुओं के नवजात शिशुओं की अचानक मृत्यु हो गई. अपने परिवार में बच्चों की मौत के बाद गस्साई सास ने दोनों बहुओं को घर से बाहर निकाल दिया. दोनों अपने बच्चों के शवों के लेकर जाने लगी कि बीच रास्ते कुछ देर विश्राम के लिए रूकीं. वहां उन दोनों को दो बहनें ओरी और शीतला मिली.

दोनों ही अपने सिर में जूंओं से परेशान थी. उन बहुओं को दोनों बहनों को ऐसे देख दया आई और वो दोनों के सिर को साफ करने लगीं. कुछ देर बाद दोनों बहनों को आराम मिला, आराम मिलते ही दोनों ने उन्हें आशार्वाद दिया और कहा कि तुम्हारी गोद हरी हो जाए. इस बात को सुन दोनों बहुएं रोने लगी और अपने बच्चों के शव दिखाए.

ये सब देख शीतला ने दोनों से कहा कि कर्मों का फल इसी जीवन में मिलता है. ये बात सुनकर वो दोनों समझ गई कि ये कोई और नहीं बल्कि स्वंय शीतला माता हैं. ये सब जान दोनों ने माता से माफी मांगी और कहा कि आगे से शीतला सप्तमी के दौरान वो कभी भी ताज़ा खाना नहीं खाएंगी. इसके बाद माता ने दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया. इस दिन के बाद पूरे गांव में शीतला माता का व्रत धूमधाम से मनाए जाने लगा.

 

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