योग (yog)

सूर्य और चन्द्र  निश्वित्त समय में आकाशीय वतुंलमार्ग
(क्रान्तिघृत्त) के आरम्भ स्थान से जितने अंश के अन्तर में हों, उन
दोनों के अंशो’ को जोड़ कर उसमें १ ३ अंश २० क्ला का भाग देने से
प्राप्त सख्वा३ अगर ७ और ८ के मध्य हो तो आठवाँ योग चलता है
अगर सख्या” ८ या ९ के मध्य हो तो नौवाँ योग चलता है । इस
प्रकार निर्णय किया जात्ता है कि कौनसा. योग चल रहा है । प्र…येकदृ
योग का माप १ २ अंश ३० कला का है और कुल योग २७ है । योग
का समय बदलता रहता है, और सूयं-चन्द्र की गति के अन्तर के
कारण से विल्सी भी योग का समय कमरे’ से कम २० घण्टों का और
अधिक से अधिक २५ घण्टों का होता है
मुहूर्त शास्त्र में योगों का विशेष उपयोग है । दिन शुद्धि एवं
विशेष कार्यों के लिये’ कुछ योग अनिवार्य माने जात्ते हैं जबकि कुछ
विपरीत योग अशुभ माने जाते हैं । २७ योगों के नाम क्रमश: इस
प्रकार हैं:

१ ) बिष्कभ”

(२) प्रीति

( ३) आयुष्यमान

(४) सौभाग्य.
(५) शोभन

(६ ) अतिगण्ड

(७) सुकर्मा

(८) धृति
(९) शूल

(१०) गण्ड

(११) वृद्धि

(१२) ध्रुव
(१३) व्याघात

(१४) हर्षण

(१५) वज्र

(१६) सिद्धि
(१७) व्यतिपप्त

(१८) वरीयान

(१९) परीघ

(२०) शिव
(२१) सिद्धि

(२२) साध्य

(२३) शुभ

(२४) शुक्ल
(२५) ब्रह्म

(२६)इन्द्र

(२८) वैधाति