Gangaur Festival 2018, What is Gangaur Festival
20th March 2018 (Tuesday)
Pujan Timings
Tritiya Tithi Begins = 17:53 on 19/Mar/2018 To 16:50 on 20/Mar/2018
चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए.
इस दिन से विसर्जन तक व्रती को एकासना (एक समय भोजन) रखना चाहिए.
इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है.
जब तक गौरीजी का विसर्जन नहीं हो जाता (करीब आठ दिन) तब तक प्रतिदिन दोनों समय गौरीजी की विधि-विधान से पूजा कर उन्हें भोग लगाना चाहिए.
गौरी, उमा, लतिका, सुभागा, भगमालिनी, मनोकामना, भवानी, कामदा, भोग वर्द्विनी और अम्बिक. मां गौरी के सभी रुपों की पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से पूजा करनी चाहिए.
इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को दिन में केवल एक बार ही दूध पीकर इस व्रत को करना चाहिए.
गौरीजी की इस स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चढ़ाई जाती हैं.
सुहाग की सामग्री को चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है.
इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाया जाता है और भोग के बाद गौरीजी की कथा कही जाती है.
कथा सुनने के बाद गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियों को अपनी मांग भरनी चाहिए.
चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) को गौरीजी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं.
चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्राभूषण पहनाकर डोल या पालने में बिठाएं.
इसी दिन शाम को एक शोभायात्रा के रूप में गौरी-शिव को नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर विसर्जित करें.
विसर्जन के बाद इसी दिन शाम को उपवास भी खोला जाता है.
पूजन में मां गौरी के दस रुपों की पूजा की जाती है. मां गौरी के दस रुप इस प्रकार है.
इस व्रत को करने से उपवासक के घर में संतान, सुख और समृ्द्धि की वृ्द्धि होती है.
No comment yet, add your voice below!