What is Gudi Parva 2019: Why We Celebrate Gudi Parva, Gudi Parva Muhurt

What is Gudi Parva

हिन्दू नव वर्ष के शुरू होने का प्रतीक है गुड़ी पड़वा गुड़ी पड़वा का पर्व मुख्यतः महाराष्ट्र में हिन्दू नववर्ष के आरंभ की ख़ुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होने वाले नए साल की शुरुआत के दिन ही मनाने की परंपरा है। गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गुड़ी का मतलब ध्वज यानि झंडा और पड़वा यानी प्रतिपदा तिथि होती है। मान्यता है के इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से चैत्र नवरात्र की भी शुरुआत होती है।Uchchhishta Ganapati Sadhna, Uchchhishta Ganapati Diksha

Gudi Parva 2019

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा का त्यौहार 6 अप्रेल को चैत्र मास की शुक्‍ल प्रतिपदा की तिथि को है। 6अप्रेल से ही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत हो रही है। सभी युगों में प्रथम सतयुग की शुरुआत भी इसी तिथि से हुई। पौराणिक कथाओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आदिशक्ति प्रकट हुई थी। भारतीय कैलेंडर के मुताबिक चैत्र का महीना साल का पहला महीना होता है। कहते हैं कि प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने अपने अनुसंधान के फलस्वरूप सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और साल की गणना करते हुए भारतीय पंचांग की रचना की।

Gudi Parva Katha

दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था। जब भगवान श्री राम को पता चला की लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके अांतक से मुक्त करवाया। मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।

Why We Celebrate Gudi Parva?

स्वास्थ्य के नज़रिये से भी गुड़ी पड़वा का काफी महत्व है। इस दिन बनाए जाने वाले व्यंजन चाहें आंध्र प्रदेश में बनाई जाने वाली पच्चड़ी हो, या फिर महाराष्ट्र में बनाई जाने वाली पूरन पोली या पोरन पोली, सभी स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं। माना जाता है कि खाली पेट पच्चड़ी के सेवन से चर्म रोग दूर होने के साथ-साथ स्वास्थ्य बेहतर होता है। वहीं पूरन पोली में गुड़, नीम के फूल, इमली और आम का उपयोग होता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद होते हैं। इस दिन लोग सुबह में नीम की पत्तियां भी खाते हैं। माना जाता है कि इससे रक्त शुद्ध होता है।

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