Karwa Chauth 2018 Date: Significance Shubh Muharat For The Festival
Karva Chauth 2018 in India will begin on Saturday, 27 October
and ends on Sunday, 28 October Dates may vary.
Karva Chauth 2018 Muhurat
- Puja Muhurat: From 17:59:43 to 19:09:56
- Moon rise time: At 20:10:00
Procedure For Pujan
The story of Karva
According to this legend, there was a woman named Karva. Once, while taking a bath in the river, her husband was caught by a crocodile. It is said that Karva had tied the crocodile with one thread and with his patriarchal power, he was able to walk through Yamalok. There he prayed to give life to his husband, Yama, the god of death.Karva was angry. By fearing the woman’s power, Yama gave Karva’s husband a long life.
Story of Satyavan and Savitri
The childless king of Madra Kingdom, Asvapati, lives ascetically for many years and offers oblations to Sun God Savitr. His consort is Malavi. He wishes to have a son for his lineage. Finally, pleased by the prayers, God Savitr appears to him and grants him a boon: he will soon have a daughter.The king is joyful at the prospect of a child.Savitri is born out of devotion and asceticism, traits she will herself practice.
Savitri is so beautiful and pure, she intimidates all the men in the vicinity. When she reaches the age of marriage, no man asks for her hand, so her father tells her to find a husband on her own. She sets out on a pilgrimage for this purpose and finds Satyavan, the son of a blind king named Dyumatsena of the Salwa Kingdom, who, after he lost everything including his sight, lives in exile as a forest-dweller.
Savitri returns to find her father speaking with Sage Narada who announces that Savitri has made a bad choice: although perfect in every way, Satyavan is destined to die one year from that day. In response to her father’s pleas to choose a more suitable husband, Savitri insists that she will choose her husband but once. After Narada announces his agreement with Savitri, Ashwapati acquiesces.
Immediately after the marriage, Savitri wears the clothing of a hermit and lives in perfect obedience and respect to her new parents-in-law and husband.
Three days before the foreseen death of Satyavan, Savitri takes a vow of fasting and vigil.Her father-in-law tells her she has taken on too harsh a regimen, but Savitri replies that she has taken an oath to perform these austerities, to which Dyumatsena offers his support.
The morning of Satyavan’s predicted death, Savitri asks for her father-in-law’s permission to accompany her husband into the forest. .(FROM WIKI)
करवा चौथ का व्रत 2018
करवा चौथ, करवा नाम से लिया गया है जो मिट्टी का एक पात्र होता है
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं कुछ महिलाये जल का सेवन भी कर लेती है । करवा चौथ के व्रत का पूर्ण वर्णन वामन पुराण में किया गया है।
शास्त्रो के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी पूजा करनी चाहिए इस दिन साफ़ मिट्टी या बालू से एक छोटी प्रतिमा बनानी चाहिए और उसका पुरे विधि विधान से पूजन करना चाहिए |पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए।
Note-जो महिलाये प्रथम करवा चौथ कर रही है वो अगर निर्जल उपवास कर रही है तो हमेशा ही निर्जल रहे और जो महिलाये नही रख रही है वो आगे भी न रखे
मंत्र से संकल्प ले -मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.
उसके बाद इस तरह से तैयारी करे
पूरे दिन निर्जल रहते हुए व्रत को संपूर्ण करें और दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें. चाहे तो आप पूजा के स्थान को स्वच्छ कर वहां करवा चौथ का एक चित्र लगा सकती हैं जो आजकल बाजार से आसानी से कैलेंडर के रूप में मिल जाते हैं. हालाकि अभी भी कुछ घरों में चावल को पीसकर या गेहूं से चौथ माता की आकृति दीवार पर बनाई जाती है. इसमें सुहाग की सभी वस्तुएं जैसे सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, कंघा, शीशा, चूड़ी, महावर आदि बनाते हैं. सूर्य, चंद्रमा, करूआ, कुम्हारी, गौरा, पार्वती आदि देवी-देवताओं को चित्रित करने के साथ पीली मिट्टी की गौरा बनाकर उन्हें एक ओढ़नी उठाकर पट्टे पर गेहूं या चावल बिछाकर बिठा देते हैं. इनकी पूजा होती है. ये पार्वती देवी का प्रतीक है, जो अखंड सुहागन हैं. उनके पास ही एक मिट्टी के करूए(छोटे घड़े जैसा) में जल भरकर कलावा बांधकर और ऊपर ढकने पर चीनी और रूपए रखते हैं. यही जल चंद्रमा के निकलने पर चढ़ाया जाता है.
करवा चौथ की कथा सुनते समय महिलाएं अपने-अपने करूवे लेकर और हाथ में चावल के दाने लेकर बैठ जाती हैं. कथा सुनने के बाद इन चावलों को अपने पल्ले में बांध लेती हैं और चंद्रमा को जल चढ़ाने से पहले उन्हें रोली और चावल के छींटे से पूजती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. कथा के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें.
एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री वीरवति थी. पुत्री सहित सभी पुत्रों की वधुओं ने करवा चौथ का व्रत रखा था. रात्रि में जब भाइयों ने वीरवति से भोजन करने को कहा, तो उसने कहा कि चांद निकलने पर अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करूंगी. इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी से प्रकाश निकलते हुए उसे दिखा दिया और चांद निकलने की बात कही. वीरवति अपने भाई की बातों में आ गई. कृत्रिम चंद्र प्रकाश में ही उसने अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लिया.
भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई. अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहां से रानी इंद्राणी निकल रही थीं. उनसे उसका दुःख न देखा गया. ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला. अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा.
उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई. इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए.
करवा की कहानी: इस कथा के अनुसार, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी. एक बार नदी में स्नान करते समय उसके पति को एक मगरमच्छ ने पकड लिया. कहते हैं कि करवा ने अपने पतिव्रत शक्ति से मगरमच्छ को एक धागे से बांध दिया और चल पडी यमलोक. वहां उसने मृत्यु के देवता यम से अपने पति को जीवनदान देने की प्रार्थना की. लेकिन यम नहीं माने. करवा क्रोधित हो गई. पतिव्रता स्त्री की शक्ति से भय खाकर यम ने करवा के पति को लंबी आयु प्रदान कर दी.
अहोई अष्टमी पूजन Ahoi Ashtami Pujan